हे.न. बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के डा. विजय कान्त पुरोहित को मिला 28 वां गौरा देवी पर्यावरण सम्मान
देहरादून: विगत 18 सालों से पर्यावरण एवं जड़ी बूटी संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहे हे.न. बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में कार्यरत डा. विजय कान्त पुरोहित को 28 वां गौरा देवी पर्यावरण पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गयाI डा. पुरोहित को यह सम्मान ज्योर्तिमठ चमोली के उर्गम घाटी में प्रतिवर्ष 5-6जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित दो दिवसीय गौरा देवी पर्यावरण एवं प्रकृति पर्यटन विकास मेले के अवसर पर उत्तराखंड सरकार की विधानसभा अध्यक्षा ऋतु भूषण खंडूरी द्वारा प्रदान किया गया हैI
डा. विजय कान्त पुरोहित, पुत्र स्वर्गीय अनुसूया प्रसाद पुरोहित एवं स्वर्गीय दिगम्बरी देवी पुरोहित का जन्म 1974 में ग्राम किमनी, थराली, जिला चमोली गढ़वाल, उत्तराखंड में हुआ। अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राथमिक विद्यालय, सरकारी स्कूल काखड़ा तथा इंटरमीडिएट कॉलेज थराली से लेने के बाद डॉ. पुरोहित ने वानिकी में विशेषज्ञता के साथ वनस्पति विज्ञान और जंतु विज्ञान (प्राणीशास्त्र) में स्नातक की डिग्री और वनस्पति विज्ञान में स्नातकोत्तर (मास्टर) डिग्री के साथ ही एचएन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से प्लांट फिजियोलॉजी में डॉक्टरेट की उपाधि क्रमशः 1994, 1996 और 2003 में उत्तीर्ण की। पादप ऊतक संवर्धन और पारंपरिक तरीकों के माध्यम से हिमालयन ओक्स (बांज) की चयनित प्रजातियों के प्रसार पर केंद्रित उनका डॉक्टरेट अनुसंधान कार्य 1997-2002 तक प्रोफेसर एलएमएस पालनी तथा डा. एस.के. नंदी की देखरेख में प्रख्यात जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा में पूरा हुआ।
इस शैक्षिक पृष्ठभूमि ने उन्हें पादप जीव विज्ञान और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में एक मजबूत आधार प्रदान किया है। वर्तमान में डॉ. विजय कांत पुरोहित प्लांट फिजियोलॉजी और प्लांट प्रसार पर ध्यान केंद्रित करने के साथ संरक्षण जीव विज्ञान में विशेषज्ञता वाले एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं और साथ ही उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केन्द्र (एचएपीपीआरसी), स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर एंड एलाइड साइंस, एचएन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर (गढ़वाल), उत्तराखंड के निदेशक पद का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाल रहे हैं। डा. पुरोहित ने इस सम्मान के लिए लक्ष्मण सिंह नेगी, सचिव जनदेश कल्प क्षेत्र भरकी एवं प्रो. आर.के. मैखुरी डॉ डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला दून यूनिवर्सिटी देहरादून के साथ ही उत्तराखंड के हजारों जड़ी बूटी काश्तकारों का विशेष धन्यवाद ज्ञापित किया।