उत्तराखंड में मिलेगा एक्स्ट्रा थ्रिल,टिहरी झील में हवा से बातें करेगा शॉर्ट ओवर जेट
देहरादून: एक जमाना था जब उत्तराखंड को मात्र अध्यात्म और योग के लिए जाना जाता था. देवभूमि उत्तराखंड अपने धार्मिक पर्यटन की वजह से वैश्विक पटल पर पहचान रखता था. समय बदलने के साथ आज यह पहचान साहसिक टूरिज्म की वजह से और निखरती जा रही है. उत्तराखंड को वैश्विक प्लेटफॉर्म पर ले जाने में एडवेंचर टूरिज्म का एक बड़ा हाथ है. आज उत्तराखंड में रिवर राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, बंजी जंपिंग, जिप लाइनिंग, रॉक क्लाइंबिंग जैसी एक्टिविटी आम हो चली हैं. पहले बमुश्किल होने वाली यह एक्टिविटी आज आपको बहुतायत में देखने को मिल रही हैं.
योग केपिटल तब्दील हुई थ्रिल फैक्ट्री में: योग कैपिटल के रूप में पूरी दुनिया में जानी जाने वाली संतनगरी ऋषिकेश आज रिवर राफ्टिंग और बंजी जंप के लिए थ्रिल जगत में अपनी अलग पहचान बन चुकी है. हर साल लाखों की संख्या में युवा ऋषिकेश में रिवर राफ्टिंग करने आते हैं. पिछले कुछ सालों में ऋषिकेश बंजी जंपिग का भी केंद्र बना हुआ है. यहां एक के बाद एक बंजी जंपिंग कंपनियां खुल चुकी हैं. पर्यटन विभाग की एडवेंचर विंग के अनुसार हर साल उत्तराखंड में एडवेंचर टूरिज्म का पोटेंशियल बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में एडवेंचर से जुड़े नए प्रोजेक्ट की उत्तराखंड में डिमांड बेहद बढ़ती जा रही है.
राफ्टिंग के दबाव को ऋषिकेश से बांटने का प्रयास: उत्तराखंड पर्यटन विभाग के साहसिक खेल विंग से मिली जानकारी के अनुसार ऋषिकेश राफ्टिंग के मामले में अब फुल हो चुका है. अब यहां पर और अधिक पर्यटकों का दबाव झेलना संभव नहीं है. ऐसे में विभाग द्वारा गंगा नदी को छोड़कर अन्य सहायक नदियों में राफ्टिंग की साइट को चिन्हित करके वहां पर रिवर राफ्टिंग की अनुमति दी गई है. साथ ही यहां पर राफ्टिंग को बढ़ावा देने के लिए पंजीकरण शुल्क में भी रियायत बरती गई है.
ऋषिकेश के बाद अब टिहरी में भी बंजी जंपिंग की अनुमति: उत्तराखंड पर्यटन परिषद में एडवेंचर विंग संभाल रहे कर्नल अश्विनी पुंडीर ने बताया कि ऋषिकेश में चार बंजी होने के बावजूद भी यहां पर लगातार लोगों का दबाव बढ़ता जा रहा है. ऐसे में टिहरी झील में भी बंजी जंपिंग की संभावनाओं को तलाशते हुए सर्वे करवाया गया है. अगर सब कुछ सामान्य रहा, तो निकट भविष्य में टिहरी झील में भी बंजी जंपिंग की शुरुआत कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि एक कंपनी द्वारा प्रेजेंटेशन दी जा चुकी है और वहां पर सर्वे भी करवाया जा चुका है.
टिहरी झील में उतारा जाएगा छोटा क्रूज: पर्यटन परिषद द्वारा मिली जानकारी के अनुसार टिहरी झील में वॉटर स्पोर्ट्स की अपार संभावनाओं को देखते हुए झील में पर्यटन के लिए नए विकल्पों पर लगातार काम किया जा रहा है. इसी के चलते जल्द ही टिहरी झील में एक छोटा क्रूज जिस में 10 से 12 कमरे मौजूद होंगे, उसे उतारने की रणनीति तैयार की जा रही है. उन्होंने बताया कि इस पर बहुत तेजी से काम चल रहा है. इस क्रूज को बनाने की तैयारी चल रही है और यह अपने आखिरी चरण में है. जल्द ही इस छोटे क्रूज को टिहरी झील में पर्यटकों के लिए उतार दिया जाएगा.
भिलंगना नदी में उल्टी दिशा में हवा से बात करेगा ‘शॉर्ट ओवर जेट’: उत्तराखंड में एडवेंचर टूरिज्म और थ्रिल को नेक्स्ट लेवल तक पहुंचाने के लिए टिहरी झील में एडवेंचर और थ्रिल के सभी विकल्प तलाशी जा रहे हैं. इन्हीं विकल्पों में से एक शॉर्ट ओवर जेट का विकल्प भी है. ये नदी की धारा के विपरीत दिशा में तकरीबन 80 किलोमीटर के रफ्तार से थ्रिल पैदा करता है. यह बेहद रोमांचक शॉर्ट ओवर जेट ज्यादातर ऑस्ट्रेलिया या फिर यूरोप के देशों में वाटर स्पोर्ट्स और एडवेंचर के लिए देखा जाता है. अब जल्द ही उत्तराखंड की टिहरी झील से लगी हुई नदी में भी ये गोते खाता नजर आ सकता है. उत्तराखंड एडवेंचर विंग के हेड कर्नल अश्विनी पुंडीर ने बताया कि यह बेहद रोमांचक और थ्रिल पैदा करने वाला शॉर्ट ओवर जेट जल्द ही टिहरी में वॉटर स्पोर्ट्स और एडवेंचर टूरिज्म को नया आयाम देगा. उन्होंने बताया कि यह जेट नदी की विपरीत दिशा में बेहद तेज गति से चलता है. यह अपने इंसटेंट 180 डिग्री मूव के लिए जाना जाता है.
टिहरी झील में जेटोवेटर से होंगी हवा से बातें: जेटोवेटर एक उड़ने वाली वॉटर स्पोर्ट चालित बाइक है जो आपके मौजूदा जेट स्की या हाइड्रो-फ़्लाइट सिस्टम से जुड़ती है. जेटोवेटर जेट स्की की जेट इकाई से साठ फुट की नली के जरिए पानी के थ्रस्ट को जेटोवेटर बाइक पर जनरेट करता है. इस पानी के थ्रस्ट का उपयोग जेटोवेटर को हवा में उछालने और ऊपर उठाने के लिए किया जाता है. साठ फुट की कनेक्टिंग नली एक आपूर्ति किए गए थ्रस्ट एडॉप्टर के माध्यम से पीडब्ल्यूसी से जुड़ी होती है जो जेट थ्रस्ट को पीडब्ल्यूसी के सामने की ओर 180 डिग्री पर पुनर्निर्देशित करती है. इस थ्रस्ट एडॉप्टर को आसानी से स्थापित किया जाता और हटाया जा सकता है, जिससे पीडब्ल्यूसी को अभी भी सामान्य रूप से उपयोग किया जा सकता है. उत्तराखंड पर्यटन परिषद के अनुसार जल्दी यह टिहरी झील में उतर जाएगा.