भारी पुलिस बंदोबस्त के बीच राजपुर क्षेत्र की काठबंगला बस्ती में एमडीडीए ने शुरु किया ध्वस्तीकरण अभियान, बड़े पैमाने पर ढहाए गए घर
देहरादून: एक ओर जहां एमडीडीए ने मलिन बस्तियों में अवैध कब्जे हटाने की तैयारी शुरू कर दी है। वही आज राजपुर क्षेत्र की काठबंगला बस्ती में सोमवार पूर्वाह्न से अवैध निर्माण के तहत चिह्नित घरों के ध्वस्तीकरण का अभियान शुरू हो गया है। भारी पुलिस बंदोबस्त के बीच तनावपूर्ण माहौल में आरंभ हुए अभियान के तहत काठबंगला, गबर सिंह बस्ती समेत आसपास की बस्तियों में ढाई सौ से ज्यादा मकान गिराए जाने हैं। मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) यह अभियान चला रहा है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने देहरादून प्रशासन को रिस्पना नदी में साल-2016 के बाद हुए अवैध कब्जों को चिह्नित करते हुए उनके ध्वस्तीकरण के आदेश दिए हैं। इस आदेश के अनुपालन में देहरादून नगर निगम, एमडीडीए और मसूरी नगर पालिका ने अपने-अपने क्षेत्र में मौसीफॉल में रिस्पना के कैचमेंट एरिया से लेकर दौड़वाला में उसके और सुसवा के संगम तक अतिक्रमण चिह्नित किए। 30 जून तक संबंधित निकायों की ओर से एटीआर (एक्शन टेकन रिपोर्ट) एनजीटी को सौंपी जानी है। नगर निगम अपने हिस्से के चिह्नित अतिक्रमण पहले ही ध्वस्त कर चुका। अब एमडीडीए ने यह अभियान शुरू किया है।
रिस्पना और बिंदाल किनारे एमडीडीए की रिवर फ्रंट योजना भी संचालित है। दूसरे, एलिवेटेड रोड के निर्माण का प्रस्ताव भी इन नदियों में है। रिस्पना में रिवर फ्रंट के लिए चिह्नित भूमि पर बड़े पैमाने पर मकान बने हैं। इनमें साल-2016 के बाद हुए 250 से ज्यादा निर्माण चिह्नित किए गए हैं। ये अवैध निर्माण राजपुर काठबंगला बस्ती से बाला सुंदरी मंदिर के बीच स्थित हैं। चिह्नित निर्माणों को ध्वस्त करने के लिए एमडीडीए ने सोमवार पूर्वाह्न अभियान शुरू किया।
अभियान काठबंगला बस्ती से शुरू किया गया। राजपुर साईं मंदिर और सहस्त्रधारा हेलीपैड के बीच रिस्पना में स्थित यह बस्ती 1990 के दशक में बसनी शुरू हुई थी, जो अब काफी घनी और बड़ी हो चुकी है। सुबह करीब 9 बजे भारी संख्या में विभिन्न थानों की फोर्स और पीएसी के साथ एमडीडीए के अधिकारी बुलडोजर लेकर काठबंगला पहुंचे। काफी संख्या में बस्तीवासी कार्रवाई का विरोध करने के लिए आ जुटे। कुछ देर उन्होंने काठबंगला पुल पर धरना देकर जाम लगाया। पुलिस ने इन्हें वहां से हटा दिया। इसके बाद लोगों ने खुद ही घरों को खाली करना शुरू कर दिया। घर खाली होने के साथ ही एमडीडीए के बुलडोजरों ने उन्हें ढहाना शुरू कर दिया। इस दौरान कई प्रभावित परिवार और उनके बच्चे खुद को बेघर होता देख बिलखते नजर आए। वे बस्ती बसाने वाले नेताओं को कोस रहे थे। कुछ का कहना था कि उन्होंने बाकायदा पैसा देकर उक्त जमीन खरीदी है।