उत्तराखंड पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में पशुचिकित्सा अधिकारियों ने सीखे रोगों के त्वरित निदान और नमूना संग्रह के गुण
देहरादून: भारत सरकार की ओर प्रयोजित पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत उत्तराखंड पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित “Laboratory Techniques in Disease Diagnosis” विषय पर आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज उत्तराखण्ड राज्य पशुचिकित्सा परिषद सहस्त्रधारा के प्रशिक्षण केन्द्र में संपन्न हो गया। प्रशिक्षण में विभाग के 18 वरिष्ठ पशुचिकित्सा अधिकारियों ने भाग लिया और आधुनिक प्रयोगशाला तकनीकों, रोगों के त्वरित निदान, नमूना संग्रह एवं परिरक्षण तथा ऑउटब्रेक प्रबंधन रणनीतियों की जानकारी प्राप्त की।
प्रशिक्षण के दौरान, प्रतिभागियों ने पशुलोक ऋषिकेश स्थित पशु रोग निदान प्रयोगशाला का भी दौरा किया, जहां उन्होंने आधुनिक उपकरणों और तकनीकों का प्रत्यक्ष व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया। विषय विशेषज्ञों, डॉ. प्रसून दूबे, वरिष्ठ पशुचिकित्सा अधिकारी, रोग निदान प्रयोगशाला, पशुलोक ऋषिकेश, और डॉ. सुधा कृपाल, पशुचिकित्सा अधिकारी, रोग अनुसंधान प्रयोगशाला, रुद्रपुर, द्वारा विभिन्न तकनीकी विषयों पर प्रतिभागियों को विस्तृत प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
समापन समारोह को संबोधित करते हुए, डॉ. नीरज सिंघल, निदेशक, पशुपालन विभाग ने कहा कि आधुनिक प्रयोगशाला तकनीकों का ज्ञान वर्तमान समय में पशुचिकित्सकों के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने सभी प्रतिभागी अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे इस प्रशिक्षण से प्राप्त ज्ञान का अपने-अपने क्षेत्रीय चिकित्सालयों में अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करें और अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को भी इन आधुनिक तकनीकों से अवगत कराएं।
डॉ. उदय शंकर, अपर निदेशक, पशुपालन विभाग ने कहा कि इस प्रशिक्षण से प्राप्त कौशल न केवल रोगों के त्वरित और सटीक निदान में सहायक होगा, बल्कि प्रकोप की स्थिति में समयबद्ध प्रतिक्रिया द्वारा राज्य की पशु स्वास्थ्य सेवाओं में भी उल्लेखनीय सुधार आएगा। डॉ. सतीश जोशी, संयुक्त निदेशक (सामान्य प्रशासन एवं पशुरोग नियंत्रण) ने प्रतिभागियों से आह्वान किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में इन तकनीकों का प्रभावी उपयोग कर पशुधन संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।
कार्यक्रम का समापन डॉ. सुजीत नायक, संयुक्त आयुक्त, भारत सरकार द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित कर किया गया। डॉ नायक ने कहा कि भारत सरकार द्वारा उत्तराखंड राज्य को रोग मुक्त राज्य की श्रेणी के लिए नामित किया गया है अतः राज्य के समस्त पशुधन का टीकाकरण किया जाना आवश्यक है। इस अवसर पर, डॉ. कैलाश उनियाल, अध्यक्ष, उत्तराखण्ड राज्य पशुचिकित्सा परिषद् ने राज्य में पशु स्वास्थ्य सेवाओं के उन्नयन हेतु ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की निरंतरता और गुणवत्ता बढ़ाने का आश्वासन दिया।
कार्यक्रम में डॉ. शिवानन्द पाठक, उप-निदेशक (पशुरोग नियंत्रण), डॉ. मनीष शर्मा, उप-निदेशक (यू0एस0डब्लू0डी0बी0) भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शिखाकृति नेगी, पशुचिकित्सा अधिकारी (यू0एस0डब्लू0डी0बी0) द्वारा किया गया।