मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में स्वरोजगार के अवसर बढ़ाये जाने के दृष्टिगत सचिव ग्राम्य विकास राधिका झा ने जारी किये दिशा निर्देश
देहरादून : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में प्रदेश के विभिन्न सामुदायिक संगठनों, स्वयं सहायता समूह, ग्राम संगठन तथा कल्स्टर फेडरेशनों को स्थायी स्वरोजगार उपलब्ध कराये जाने हेतु ग्राम्य विकास विभाग द्वारा विभिन्न विकास कार्यकमों का कियान्वयन किया जा रहा है। इन संगठनों के सदस्यों के उद्यमिता विकास तथा विस्तार हेतु राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्थानीय स्तर पर विभिन्न खाद्य उत्पादों जैसे जैम, जैली, जूस, अचार, पापड़, चटनी, शहद, दुग्ध उत्पाद, बैकरी उत्पाद, मसाले एवं अन्य सामग्री निर्मित की जाती हैं, जिनकी मानको के अनुरूप गुणवत्ता निर्धारित होती है। सभी समूहों द्वारा उत्पादित इन उत्पादों की गुणवत्ता, प्रसंस्करण और पैकेजिंग में सुधार, विपणन से संबंधित कौशल का विकास एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करते हुए स्वरोजगार के अवसर बढ़ाये जाने के दृष्टिगत सचिव ग्राम्य विकास राधिका झा द्वारा दिशा निर्देश जारी किये गए हैं।
सचिव ग्राम्य विकास द्वारा स्पष्ट किया गया है कि समूहों द्वारा उत्पादित खाद्य सामग्री के उत्पादन हेतु ऑनलाईन FSSAI प्रमाणीकरण किया जाना अनिवार्य होगा। खाद्य सामग्री की पैकेजिंग पर Ingredients, date of Manufacturing/Expiry, निर्मितकर्ता का नाम स्पष्ट रूप से अंकित किया जाये। उत्पाद की गुणवत्ता और शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए मानकीकृत (Standardised) पैकेजिंग की जाएगी, खाद्य उत्पादों के लिए स्वच्छता और गुणवत्ता मानकों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित किया जायेगा तथा निर्मित उत्पादों में किसी भी तरह के फूड कलर का उपयोग नहीं किया जायेगा।
उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि अपरिहार्य स्थिति में यदि आवश्यक हो तो निर्धारित मानकानुरूप उपयोग किया जाय, उत्पादों के प्रसंस्करण सामग्री और तकनीक पर विशेष ध्यान दिया जाए, रसायनिक संरक्षकों (Preservatives) का उपयोग आवश्यकता होने पर ही मानकों के अनुसार किया जायेगा, निर्मित उत्पादों की नियमित रूप से गुणवत्ता जांच सुनिश्चित की जाय तथा उत्पादन में नए प्रयोग और नवाचार को बढ़ावा दिया जाए।
सचिव ग्राम्य विकास द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि समूहों द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली मशीनों की नियमित देखभाल की जाए। खराब स्थिति में तुरंत मरम्मत की व्यवस्था हो, ताकि उत्पादन में बाधा न हो। ग्राम स्तर पर एरिया कॉर्डिनेटर, विकास खंड स्तर पर बीएमएम, और जनपद स्तर पर डीटीई को उत्पादों की गुणवत्ता और विपणन की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। अधिकारियों को निर्देश है कि प्रत्येक माह समूहों द्वारा उत्पादित उत्पादों का स्थलीय निरीक्षण कर गुणवत्ता और पैकेजिंग मानकों का पालन सुनिश्चित करें।
उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि एनआरएलएम/ग्रामोत्थान के स्वयं सहायता समूह के ऐसे सभी सदस्य जो उद्यम स्थापित या विस्तार करना चाहते हैं, उन्हें मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना के माध्यम से अनिवार्य रूप से प्रशिक्षण दिया जाए। इस योजना के अंतर्गत समूहों को आधुनिक प्रौद्योगिकी, उपकरणों के उपयोग एवं उद्यमिता विकास से जुड़े प्रशिक्षण उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे उन्हें अधिक उत्पादक और कुशल बनने में सहायता मिलेगी।